हरियाणा विस चुनावः इस बार ‘नशा’ भी बना बड़ा मुद्दा, घेराबंदी में जुटे दल, भुनाने को सभी बेकरार

 


हरियाणा विस चुनावः इस बार 'नशा' भी बना बड़ा मुद्दा, घेराबंदी में जुटे दल, भुनाने को सभी बेकरार



हरियाणा में चुनाव के दौरान इस बार 'नशा' भी मुद्दा बना हुआ है। इस मुद्दे पर भी मंच से जहां सियासी प्रहार हो रहे हैं, वहीं कुछ दल इसे भुनाने को खासे बेकरार  भी दिख रहे हैं। खासकर उन विधानसभा क्षेत्रों में इस मुद्दे को विरोधी दल जोरों से उठा रहे हैं, जिस एरिया में नशे की समस्या गंभीर है। हरियाणा के ये क्षेत्र पंजाब और राजस्थान की सीमाओं से सटे हुए हैं। उधर, विरोधियों के इस वार का जवाब भाजपा प्रत्याशी भी अपनी सरकार के कार्यकाल में नशे के विरूद्ध चलाए गए अभियानों की कामयाबी से विरेाधियों को दे रहे हैं।


 

भाजपाई जनता को यह बताने का प्रयास में जुटे हैं कि प्रदेश में नशे के खिलाफ जितनी कार्रवाई मनोहर सरकार के कार्यकाल में हुई है, उतनी कार्रवाई पहले नहीं हुई है। इतना ही नहीं भाजपाई प्रदेश में पहली बार बनाई गई यूथ पॉलिसी का हवाला देते हुए लोगों को मंच से बता रहे हैं कि प्रदेश में बनाई गई इस यूथ पॉलिसी का मकसद ही यही है कि किस तरह युवाओं को नशे व अन्य सामाजिक बुराइयों से दूर रखते हुए उन्हें खेलों व अन्य सामाजिक कार्यों की ओर मोड़ा जाए। इसके साथ ही प्रदेश में पहली बार  गठित किए गए यूथ कमीशन की जानकारी भी लोगों को दी जा रही है।

दरअसल, इस विधानसभा चुनाव में विरोधी दलों ने नशे के इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देते हुए इसे भाजपा के खिलाफ घेराबंदी का हथियार बनाया हुआ है। इस मुद्दे को मंच से उछालकर भाजपा को निशाने पर लेते हुए विरोधी दल लोगों में इस समस्या को बेहद गंभीर बताने के प्रयास में जुटे हुए हैं। मगर विरोधियों की इस घेराबंदी को कैसे तोड़ना है, भाजपा ने भी इसका होमवर्क किया हुआ है। भाजपाई जनता को यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि नशे की समस्या सिर्फ हरियाणा प्रदेश की ही नहीं, बल्कि इसका नेटवर्क कई अन्य राज्यों से जुड़ा है।

लिहाजा पहली बार सरकार ने हरियाणा उतरी राज्यों का एक ऐसा सचिवालय स्थापित किया गया है, जो सिर्फ नशे तस्करी के खिलाफ ही काम करेगा। हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली व राजस्थान सभी राज्यों की पुलिस इस सचिवालय से जुड़कर नशा का नेटवर्क तोड़ने में काम करेगी।



चुनाव के दौरान भी थम नहीं रहा नशा


नशा तस्कर चुनाव के दौरान भी अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ असमाजिक तत्व विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को नशे से प्रभावित करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। नतीजतन मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले अब तक हरियाणा पुलिस काफी संख्या में अवैध शराब और नशीले पदार्थ जब्त कर चुकी है।  आचार संहिता लागू होने केबाद पहले 16 दिनों में पुलिस हरियाणा में 2 करोड 42 लाख रुपये की अवैध शराब और 3 करोड़ 43 लाख रुपये के नशीले पदार्थ जब्त कर चुकी है।

सिरसा जिला सबसे ज्यादा प्रभावित
वैसे तो हरियाणा और पंजाब से सटे इलाके नशे की समस्या से प्रभावित हैं। लेकिन सिरसा जिला सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका माना जाता है। चुनाव से पहले पिछले दस महीनों की रिपोर्ट यदि देखें तो सिरसा में दस माह में करोंडों रुपये के मादक पदार्थ बरामद हुआ है। पुलिस ने नशे से संबंधित 464 मामले दर्ज किए हैं, जबकि 773 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

काबू किए गए इन लोगोंसे  6 किलो 55 ग्राम 960 मिली ग्राम हेरोईन, 16 किलो 936 ग्राम अफीम,  2136 किलो 467 ग्राम चूरा  पोस्त, 26 किलो 966 ग्राम गांजा, 346543 प्रतिबंधित नशीली गोलियां व 104981 नशीले कैप्सूल बरामद किये गए थे। इके अलावा पिछले दिनों 1 अक्टूबर को हरियाणा में 493 किलो 850 ग्राम गांजा बरामद हुआ।



राजस्थान में 3 किलोमीटर तक रहेगा ड्राइ डे


चुनाव पर नशे का साया न पड़े इसे लेकर सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत राजस्थान सरकार द्वारा 19 अक्तूबर शाम 6.00 बजे से मतदान खत्म होने तक सीमावर्ती इलाकों में 3 किलोमीटर के दायरे में शराब की बिक्री, वितरण और हर प्रकार की मूवमेंट पर प्रतिंबध लगाने के ओदश जारी कर दिए गए हैं।

हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्री अनुराग अग्रवाल ने बताया कि चुनावों के दौरान कानून-व्यवस्था बनी रहे और चुनावों को शांतिपूर्वक संपन्न करवाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।  इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा अन्य पड़ौसी राज्यों से भी अनुरोध किया गया है।

हरियाणा में चुनाव के दौरान नशे के इस्तेमाल को रोकने के लिए हरियाणा, पंजाब व राजस्थान राज्यों की इंटेलीजेंस व स्थानीय पुलिस को तो पूरी तरह मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल को भी इस पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई के लिए कहा जाएगा।
- सुनील अरोड़ा, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, भारतीय चुनाव आयोग